Aadhunik Pashupalan

by Manjunath Patel, Rekha Pathak, Sanjay Kumar

ISBN: 9789390259014
View Ebook
Imprint : Daya Publishing House
Year : 2021
Price : Rs. 6095.00
Biblio : x159p., col. plts., figs., tabls., 23 cm

Author Profile

डा- संजय कुमार का जन्म अगस्त 1970 को हुआ। आपने स्नातक व परास्नातक द्धएल-पी-एम-ऋ की उपाधिा वर्ष 1995 एवं 1997 में चौधारी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा से प्राप्त की , वर्ष 1997 से 2000 तक आपने राजस्थान राज्य सरकार में पशुचिकित्साधिाकारी के रूप में कार्य किया तदोपरान्त आपका चयन वर्ष 2000 में नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज में सहायक प्राधयापक के पद पर हुआ तथा वर्ष 2004 में आप सह प्राधयापक के पद पर नियुक्त हुए तथा वर्ष 2007 में आपका चयन गो-ब- पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर में सह प्राधयापक के पद पर हुआ। अब तक आपके 22 शोधा प= व 24 लेखों का प्रकाशन विभिन्न राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय पत्रिकाओं में हो चुका है। वर्ष 2002 में इजराईल का भ्रमण शिक्षा एवं अनुसंधाान कार्यो हेतु किया। डा- मंजूनाथ पटेल का जन्म अक्टूबर 1974 को हुआ। आपने स्नातक पशु चिकित्सा की उपाधिा वैटनरी कालेज बैंगलोर से वर्ष 1997 में प्राप्त की तत्पश्चात परास्नातक की उपाधिा पशुधान उत्पादन एवं प्रबंधा विषय में आई- वी- आर- आई- बरेली से वर्ष 1999 में प्राप्त की इसके उपरान्त आपका चयन वर्ष मार्च 2000 में गो-ब- पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर विषय विशेषज्ञ के पद पर हुआ। वर्तमान में आप उसी पद पर कार्यरत है। आपने पी-एच-डी- की उपाधिा पशुधान उत्पादन एवं प्रबंधा विषय में पन्तनगर विश्वविद्यालय से वर्ष 2009 में प्राप्त की। अब तक आपके राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर 24 शोधा प= एवं 28 लेख विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके है। साथ ही आपके द्वारा सूकर पालन एवं पशुधान प्रबंधा विषय पर पुस्तक का लेखन किया गया है। आपने अपने लघु सेवाकाल में अब तक दो डी-बी-टी- फ़न्डेड परियोजना का सफ़लता पूर्वक संचालन किया है। डा- रेखा पाठक ने वर्ष 1997 में बी-वी-एस-सी- की उपाधिा एन- जी- रंगा कृषि विश्वविद्यालय, हैदराबाद से प्राप्त करके एम- बी- एस- सी- व पी- एच- डी- की उपाधिा राष्ट्रीय पशु चिकित्सा अनुसंधाान संस्थान इज्जतनगर, बरेली से प्राप्त की । इसके पश्चात आपने 5-5 वर्षो तक पशुचिकित्साअधिाकारी के पद पर रहते हुए उŸार प्रदेश के पशुपालकों को अपनी चिकित्सकीय एवं प्रसार सेवाएँ प्रदान की। विगत 3 वर्षो से आप सहायक प्राधयापिका के पद पर पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, गो- ब- पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर में कार्यरत है। अब तक आपके 15 शोधा प= एवं 35 लेखों का प्रकाशन विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर पत्रिकाओं में हो चुका है।

About The Book

भारत एक कृषि प्रधाान देश है। पशुपालन के बिना ग्राम्य जीवन की कल्पना कृषि के साथ करना काफ़ी असमान्य सा लगता हैं। भारत की कुल जनसंख्या की 80 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। आजादी से पहले व बाद में जब कभी भी गांवों के विकास की बात कहीं गयी तो कृषि मुख्यतः कृषि ऊपज बढ़ाने व लागत कम करने के प्रयासो तक ही सीमित रह गयी जबकि गांवों के विकास के लिए अन्य बातों का विकास करने के साथ-साथ इस बात पर भी काफ़ी धयान दिया जाना चाहिए कि पशु पालन विशेषकर दुधाारू एवं कार्य करने वाले पशु का विकास कैसे किया जा सके ताकि किसानों का सर्वागिंण विकास हो सके। भारत में विश्व का लगभग 20 प्रतिशत गौवंशीय व 56 प्रतिशत महिर्ष वशं के पशु है। परन्तु दुग्धा उत्पादन प्रति पशु विश्व की तुलना में बहुत ही कम है। यदि उपरोक्त उत्पादकता प्रतिशत को बढ़ाना है तो पशुपालन सम्बन्धिात सामान्य व वैज्ञानिक जानकारियों को किसानों व पशुपालकों तक पहुंचाना अति आवश्यक है जिससे वह उत्पादकता बढ़ाने में अपना शत-प्रतिशत योगदान कर सके। इस पुस्तक ष्आधाुनिक पशुपालन ष् में विभिन्न विषयों जैसे उन्नत नस्लों का चयन, नवजात शिशुओं की देखभाल, पशु आवास व्यवस्था, सामान्य बीमारियों की पहचान, प्रमुख टीके व अन्य विषयो पर गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के विभिन्न वैज्ञानिको एवं प्राधयापकों द्वारा काफ़ी गहन अधययन व अनुसंधाान के बाद काफ़ी सहज व सरल हिन्दी भाषा में आलेख किया गया है जो कि पशुपालन व्यवसाय से जुडे़ सभी लोगो, छात्रें, पशु चिकित्सों, पशु सेवकों के द्वारा बड़ी सहजता से समझा जा सकता है।

Table of Contents

प्रस्तावना अ संदर्भ अपप 1- गाय एवं भैंस की प्रजातियाँ 1 संजय कुमार 2- पशुओं के बछड़ों की देखभाल 11 अशोक कुमार 3- पशुओं के रहने का स्थान 18 देवव्रत सिंह एवं एम- पटेल 4- आधाुनिक डेयरी का निर्माण एवं प्रबन्धा 28 एस- के- सिंह 5- दुधाारू पशुओं का पोषण 33 ज्योति पलोड़ एवं संजय कुमार 6- दुधाारू पशुओं की प्रबन्धा व्यवस्था 44 एस-के- सिंह 7- अस्वस्थ पशुओं की सामान्य पहचान के प्रमुख लक्षण 52 मंजूनाथ पटेल 8- पशुओं के पास पहुँचने, पकड़ने एवं वश में करने की सामान्य विधिायाँ 59 मंजूनाथ पटेल एवं डी-वी- सिंह 9- पशुओं में होने वाले सामान्य रोग 64 निधिा अरोड़ा एवं वी-एस- राजौरा 10- पशुओं में होने वाले संक्रामक रोग 85 निधिा अरोड़ा एवं वी-एस- राजौरा 11- दुधाारु पशुओं में प्रजनन सम्बन्धाी विकार 99 जे-के- प्रसाद एवं निधिा अर®रा 12- पशुओं के प्रमुख परजीवी रोग 112 विद्यासागर सिंह एवं रजत गर्ग 13- शल्य चिकित्सा से संबंधिात होने वाली सामान्य बीमारियाँ व उनके उपचार 130 रेखा पाठक एवं कुमार कौशल 14- घावों के विभिन्न प्रकार व उनका उपचार 140 रेखा पाठक एवं कुमार कौशल 15- सामान्य पशु प्रबन्धान 148 अनिल कुमार एवं एस-के- सिंह 16- दूधा एवं दुग्धा उत्पादों का क्रय-विक्रय तथा वितरण 155 एस-के- भारती एवं अनिता ग